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Why Induction Motor Take high current in Starting time in hindi
Why Induction Motor Take high current in Starting time.
इंडक्शन मोटर प्रारंभ मे एक शार्ट सर्किट सेकेण्ड्री वाइंडिंग ट्रांसफॉर्मर की भांति कार्य करती है। मोटर मे स्टेटर प्राइमरी वाइंडिंग की तरह तथा स्कैवरल केज रोटर शॉर्ट सर्किट सेकेण्ड्री की भाँति कार्य करता है। परन्तु इन दोनो के बीच Air gap होता है। जिसके कारण रोटर कभी भी सिक्रोनस स्पीड पर नहीं घूमता है।
What is Slip ?
इंडक्शन मोटर की सिंक्रोनस स्पीड तथा मैकेनिकल स्पीड के अन्तर को slip कहा जाता है। इसे S से लिखा जाता है इसका मान 0 - 1 के बीच मे Vary करता है।
S = Ns – Nr / Ns
Or
S = 1 – Ns / Nr
Speed of Induction Motor
Ns = 120f / n
Where :-
Ns = schyronous speed of motor
f = Electric Frequency
n = Number of Pole
Nr = Ns*(1-Ns/Nr)
Where:-
Nr = Mechanical Speed of Rotor
Starting Current of Induction Motor
इडंक्शन मोटर में स्लिप होने के कारण मोटर का प्रारंभिक करंट फुल लोड करंट का लगभग 6-7 गुणा होता है।
जब प्रारंभ मे स्टेटर वाइंडिंग पर सप्लायी जोड़ी जाती है उस समय पर वाइंडिंग द्वारा एक रोटेटिंग चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होता है
तथा उस समय रोटर विरामावस्था में होता है। इस चुम्बकीय फ्लक्स के कारण रोटर में एक EMF उत्पन्न हो जाता है जो फैराडे के नियम का अनुसरण करता है।
रोटर मे कॉपर की स्ट्रिप द्वारा शॉर्ट सर्किट सेकेड्री की भाँति वह इस फ्लक्स को कट करती है तथा धारा बहने लगती है इस समय पर स्लिप का मान अधिकतम तथा मोटर का कुल इम्पीडेंस न्यूनतम होने के कारण धारा का मान उच्च अथवा अधिकतम होता है।
परन्तु लेंज के नियमानुसार रोटर का EMF चुम्बकीय फलक्स का विरोध करता है तथा चुम्बकीय फलक्स की speed के बराबर rotate करने का प्रयत्न करता है
जिसके कारण रोटर प्रारंभ मे उच्च टॉर्क के साथ त्वरित होना प्रारंभ करता है तथा जैसे जैसे रोटर की speed चुम्बकीय फ्लक्स की speed के मान का अंतर कम होता है slip का मान भी कम होने लगता है और धारा का मान भी कम हो जाता है।
मोटर की स्लिप का मान धारा के मान अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात धारा का मान स्लिप के मान पर निर्भर करता है।
Example :-
यदि किसी मोटर का रोटर एक नियत चाल पर घूम रहा है तथा उस पर यांत्रिक लोड को बढ़ा दिया जाए तो यह यांत्रिक लोड रोटर की स्पीड को कम कर देता है। जिसके कारण मोटर की स्लिप बढ़ जाती है तथा धारा और टॉर्क का मान भी बढ़ जाता है।
Starting Current Formula
4*Rated Power / Rated Voltage*PF*Eff.
Running Current Formula
Rated Power / ✓3*Rated Voltage*PF*Eff.
उम्मीद करता हूं कि आपको हमारी मोटर की है पोस्ट अच्छी लगी होगी अगर आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगी है तो प्लीज अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें धन्यवादOver heating problem in motor cause and solutions in hindi
Over heating problem in motor cause and solutions in hindi
प्रत्येक मोटर अथवा उपकरण की नेम प्लेट पर ambient temprature का मान लिखा होता है अतः उपकरण अधिकतम उस ताप तक सुचारु रूप से काम करेगा।
अतः उपकरण अथवा मोटर के संचालन के साथ साथ उपकरण अथवा मोटर का ताप इस ताप से कम होना चाहिये इसको मेनटेन करने के लिये cooling system लगाया जाता है।
जब मोटर अथवा उपकरण का ताप Ambient temperature से अधिक होने लगता है तब इसको over heating कहते है। मोटर में इस प्रकार घटना अधिक देखने को मिलता है। इनके कारणो निवारणो तथा हानियो का विवरण नीचे दिये गया है।
loss from overheating
ताप बढ़ने पर करंट भी बढ़ जाता है।
मोटर की वाइंडिंग का इन्सुलेशन weak हो सकता है।
अधिक ताप बढ़ने पर मोटर जल सकती है।
Causes of Over Heating
मोटर पर क्षमता से अधिक का लोड जुडा हुआ है।
मोटर करंट अधिक लें रही है।
इनपुट वोल्टेज कम आ रही है।
कूलिंग सिस्टम सही से काम नही कर रहा है।
मोटर से जुडे यंत्र की वियरिंग खराब हो गयी है।
मोटर से जुड़े यंत्र के मूविंग पार्ट में घर्षण अधिक हो गया है।
मोटर की वियरिंग खराब हो गई है।
मोटर तथा जुड़े यंत्र का Alignment ठीक नहीं है।
Solutions Of Over Heating
मोटर तथा यंत्र का aligenment ठीक से करें तथा इन दोनों को बेस में सही से कसें ताकि कंपन कम से कम हो।
मोटर के कूलिंग सिस्टम को समय-समय पर चेक करें।
यदि मोटर अथवा यंत्र की बेयरिंग खराब हो जाएगी तो उनमें से असामान्य आवाज आएगी तथा मोटर करंट भी ज्यादा लेने लगेगी।
दोस्तों आप लोगों के द्वारा इंटरनेट पर Water motor heating problem, मोटर जलने के कारण, सिंगल फेस की मोटर, Pump motor overheating causes, पंखा गर्म होने का कारण और
पानी की मोटर कैसे ठीक करें यह search कर जाता है। और इस पोस्ट से आपको इन सभी qus के ans मिल गए होंगे ।Which Connection Preferred Star Or Delta in hindi
Which Connection Preferred Star Or Delta?
दोस्तों आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि किसी मोटर को स्टार कनेक्शन में चलाना चाहिए या डेल्टा कनेक्शन में स्टार डेल्टा कनेक्शन को लेकर स्टूडेंट्स ने काफी ज्यादा कन्फ्यूजन रहता है लेकिन अगर आप यह पोस्ट पूरी पढ़ते हैं तो आज आपका कन्फ्यूजन पूरी तरह से दूर हो जाएगा तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक Which Connection Preferred Star Or Delta in hindi
थ्री फेज सिस्टम में मोटर को चलाने के लिये औद्योगिक क्षेत्र मे ज्यादातर star connection अथवा Delta connection अथवा star - Delta connection प्रयोग किये जाते है। तीनो ही प्रकार के कनेक्शन संचालन के अनुसार बेहतर होते है।
परन्तु सवाल यह है कि किस प्रकार के संचालन मे किस प्रकार के कनेक्शन को महत्व दिया जाना चाहिये।
Conditions for Star Connection
1.यदि मोटर को कम क्षमता मे संचालन करना हो तो star connection बेहतर होता है। तथा PF का मान भी अच्छा रहता है।
2. जहाँ पर प्रारम्भ में कम टॉर्क की आवश्यकता हो।
3.Rated RPM से कम RPM की आवश्यकता हो
Conditions for Delta Connection
मोटर 5kw से अधिक न हो अन्यथा dip voltage की समस्या आ सकती है।
प्रारम्भ में उच्च टॉर्क की आवश्यकता हो
मोटर पर सामान्य रूप से 80% का लोड रहे क्योंकि no load मे motor के PF का मान कम हो जाता है।
Conditions for Star Delta
उच्च जड़त्व तथा अधिक त्वरण (high inertia and high acceleration) वाले लोड के लिये
सामान्यतः मोटर की शक्ति 5 Kw से अधिक हो।
अतः थ्री फेज मोटर के कनेक्शन लोड तथा उसके संचालन पर निर्भर करते है।
Question:- Which Motor run faster star or Delta?
औद्योगिक क्षेत्र में थ्री फेज मोटर की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए सामान्य तौर पर कई सारी विधियां अपनाई जाती हैं उन्हीं विधियों में से एक विधि में supply voltage को कम करके मोटर के प्रारंभिक वल आघूर्ण (moment) और तथा प्रारंभिक करंट को कंट्रोल किया जाता है।
स्टार डेल्टा द्वारा मोटर को कंट्रोल करना इसी विधि का एक उदाहरण है ।
Motor Speed in star
थ्री फेज बैलेंस सिस्टम के स्टार कनेक्शन में फेज वोल्टेज लाइन वोल्टेज के 1/✓3 के बराबर होती है जिसके कारण करंट तथा बल आघूर्ण 1/3 हो जाता है।
मोटर का बल आघूर्ण रोटर में उत्पन्न हुए e.m.f. के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है तथा रोटर पर उत्पन्न e.m.f स्टेटर मे दी गयी सप्लायी के अनुक्रमानुपाती होता है।
सामान्य तौर पर मोटर यदि लोड से कनेक्ट है तथा स्टार में ऑपरेट की जाती है। तो फेज वोल्टेज तथा बल आघूर्ण मे में कमी के कारण मोटर की चाल लघु संबंध में प्रभावित होती है अतः मोटर की speed Delta की तुलना में कम होगी।
Motor Speed in Delta
जब थ्री फेज मोटर को डेल्टा मे कनेक्ट किया जाता है। तब लाइन वोल्टेज फेज वोल्टेज के बराबर होती है तथा लाइन करंट ✓3× phase current होता है। इस स्थिति में मोटर के त्वरित होने के बाद स्लिप न्यूनतम तथा वल आघूर्ण अधिकतम होता है। तब मोटर की speed अधिकतम होगी ।
यदि स्लिप को शून्य मान लिया जाये तो induction मोटर भी सिक्रोनस speed पर घूमेगी।
अतः ऊपर दी गयी स्थितियों के अनुसार मोटर की speed स्टार मे तुलनात्मक रूप से डेल्टा की अपेक्षा कम होगी ।
स्टार डेल्टा कनेक्शन का प्रयोग मोटर की चाल को नियंत्रित करने के लिये नहीं किया जाता है। इसका मुख्य रूप से उपयोग प्रारंभिक करंट, बल आघूर्ण तथा पॉवर फैक्टर के प्रभावो को कम करने के लिये किया जाता है।
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मोटर स्टार मे करंट ज्यादा लेती है या डेल्टा मे ?
Voltage and Current Relation in Star Connection and Delta Connection
इस post में हम बात करेंगे मोटर star में ज्यादा करंट लेती है या delta में और connection के हिसाब से भी हम समझेंगे की मोटर स्टार में ज्यादा करंट लेगी या डेल्टा में
By rajeev saini electricals
Star Connection
थ्री फेज सिस्टम मे star connection को 3 phase 4 wire system अथवा Y connection भी कहा जाता है। इस प्रकार के connection का प्रयोग मुख्यत: थ्री फेज मोटर तथा ट्रांसफॉर्मर में किया जाता है।
star connection बनाने के लिये हम उपकरण की तीनो वाइंडिंग के पहले सिरे अर्थात 1 2 तथा 3 पर R Y तथा B Phase को जोड देते है। तथा वाइंडिंग के दूसरे सिरे अर्थात 4 5 तथा 6 को short कर देते है जिसे न्यूट्रल Point कहते है।
इस प्रकार के कनेक्शन करने पर निम्न प्रकार के संबंध प्राप्त होते है। नीचे दिये गये संबंध थ्री फेज star connetion के फेजर डायग्राम को हल करके प्राप्त किये जाते है
Delta Connection
थ्री फेज सिस्टम मे star के साथ ही डेल्टा कनेक्शनो का भी प्रयोग किया जाता है।
सामान्यतः मोटर पर इस प्रकार के कनेक्शन करने के लिये वाइडिंग के सभी सिरो का उपयोग किया जाता है तथा हम इनके सिरो को नाम 1 2 3 4 5 तथा 6 दे तो वाइंडिंग U के सिरे 1 और 5 पर, वाइंडिंग V के सिरे 2 और 6 पर तथा वाइंडिंग W के सिरे 3 और 1 पर जोडे जाते है।
अब डेल्टा बनाने के लिये एक कॉपर स्ट्रिप के द्वारा 1 और 4, 2 और 5 तथा 3 और 6 को short कर दिया जाता है। तथा टर्मिनल 1 2 और 3 पर R Y तथा B Phase को जोड़ा जाता है।
इस प्रकार के कनेक्शन करने पर निम्न संबंध प्राप्त है जो Delta connection के Phaser Diagram को हल करके प्राप्त किये जाते है।
प्रश्नः – मोटर स्टार मे करंट ज्यादा लेती है या डेल्टा मे ?
यदि इलेक्ट्रिकल थ्योरी तथा इलेक्ट्रिकल सिद्धांतों के अनुसार देखा जाए तो मोटर स्टार में कम करंट तथा डेल्टा में ज्यादा करंट लेती है।
इस प्रकार के प्रश्न को हम एक उदाहरण के द्वारा आप को समझाने का प्रयास करते हैं।
Example:-
एक थ्री फेज की मोटर को 400 volt 50 Hz के द्वारा star- Delta मे चलाया जाता है तथा इसकी प्रत्येक वाइंडिंग का प्रतिरोध 20 ओम तथा प्रारंभिक प्रतिघात 15 ओम है मोटर का star तथा Delta मे करंट की गणना करो?
Solution
प्रति फेज प्रतिबाधा
Z = ✓(R^2+X^2)
Z = ✓(400 + 225)
Z = 25
स्टार संयोजन मे
Line Voltage = ✓3*Phase Voltage
Phase Voltage = Line Voltage/✓3
Phase Voltage = 400/✓3
Phase voltage = 231volt
Phase Current = Line Current = Phase Voltage/Z
Phase Current = Line Current = 231/25 = 9.24 Amp.
In Delta Connection
Line Voltage = Phase Voltage = 400Volt
Phase Current = Phase Voltage/Z
Phase Current = 400/25 = 16Amp.
Line Current = ✓3*Phase Current
Line Current = 1.732*16 = 27.7Amp.
It's Proved
Note:-
स्टार तथा डेल्टा दोनों में चलने वाली मोटरों के टर्मिनल पर कोई भी end of winding को short नहीं करते हैं। इस प्रकार की मोटर में दो केबलो के द्वारा कनेक्शन किया जाता है तथा star Delta स्टार्टर द्वारा इन्हे ऑपरेट किया जाता है।
लाइन वोल्टेज को दो फेजो के बीच नापा जाता है।
फेज वोल्टेज को एक फेज तथा न्यूट्रल के साथ नापा जाता है
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What is diesel generator in hindi | applications
D. G. का इस्तेमाल Industry में क्यो करा जाता हैं?
दोस्तों आज हम जानेंगे कि डीजल जनरेटर का प्रयोग क्यों करा जाता है और किसी इंडस्ट्री में डीजल जनरेटर की क्या उपयोगिता होती है और लाइट जाने पर डीजल जनरेटर से सप्लाई किस तरह से हमारी मशीनों तक पहुंचती है यह सब जानकारी आज हम इस पोस्ट में जानेंगे तो इस पोस्ट को पूरा पढ़िए उम्मीद करता हूं यह पोस्ट आपको अच्छी लगेगी
By rajeev saini electricals
D. G. = Diesel Generator
D.G. Electricity जनरेट करता है, इमरजेंसी के समय में, D.G. का इस्तेमाल हम तब करेंगे, जब हमारी Electricity board का सप्लाई चला जाऐ, और हमारे load को Electricity देना बहुत ही जरूरी हो| तब हम उस समय पर D. G. (डीजल जेनरेटर) का उपयोग करते हैं, Electricity को उत्पन्न करने के लिए|
D. G. का कनेक्शन कैसे करा जाता है।
D. G. का कनेक्शन किया कैसे जाता हैं, में आपको डायग्राम के जरिये बताउँगा ।
दोस्तो हमारे Load को Electricity कैसे मिलती हैं। ये हम इस डायग्राम के जरिये सीखेंगे ।
1st conditions: जब Electricity होती है, तब हमारे Load को सप्लाई कैसे मिलता है।
दोस्तों industries को और factory को हमारा जो electrical board होता है, वह 11kv HT सप्लाई देता है, और Company का खूद का Transformer होता है । तो Transformer 11kv को 415 Volt में कन्वर्ट करता है|
Transformer के बाद जो 415 Volt निकलता है उसको
हम A.T.S. (automatic transfer switch ) को दे देते हैं हमारे डिस्ट्रीब्यूशन पेनल को electricity दे दी जाती है, और डिस्ट्रीब्यूशन पेनल से हमारे मशीनों को electricity दे दी जाती हैं| लेकिन दोस्तों जब electricity कट हो जाती है, तब क्या होता है❓
Note- कुछ कंपनियों में ACB (air circuit breaker ) होता है जो ATS की तरह ही वर्क करता है आज हम यहां पर सिर्फ ATS की बात करेंगे।
दोस्तों जब electricity कट होगी, तब हमारा Transformer बंद हो जाएगा । मतलब हमारा A.T.S तक कोई सप्लाई नहीं आएगी ।
A.T.S का पुरा नाम " ओटोमैटिक ट्रांसफर स्विच"
A.T.S के नाम से ही ये इन्डिकेट होता है कि ये एक स्विच है, जो कि ओटोमैटिक चेन्ज होता है|
दोस्तों A.T.S के अंदर current sensor होता है, जब हमारी electricity होती है, तब तक हमारे A.T.S का ये जो लीवर है, वो Transformer पर रहता है| लेकिन जब electricity चलीं जाती है, तब हमारा ये जो लीवर है, वह D.G. के उपर सिफ्ट हो जाता है मतलब हमारा A.T.S तो स्विच हो गया।
D.G. कैसे स्टार्ट होगा ?
दोस्तों D.G. में भी current सेन्सर होता है, जब तक Transformer से सप्लाई आती है, तब तक हमारा D.G. बंद रहेगा । लेकिन जैसे ही ट्रांसफोर्मर का सप्लाई फेल होता है, तब हमारा D.G. स्टार्ट हो जाता हैं, और electricity प्रोड्यूस करने लगता हैं| ये electricity D.G. से A.T.S. पर दी जाती हैं| D.G. जो electricity प्रोड्यूस करता है, उसको हम A.T.S. पे देते हैं, और A.T.S. जो होता है, वह हमारे डिस्ट्रीब्यूशन पेनल को सप्लाई दे देता है।
D.G. को ON करने के लिए तीन मोड होते हैं |:-
1]. Automatic
2]. Semi - Automatic
3]. Manual
(1)Automatic :- Automatic में जब electricity कट होगी, तब D.G. अपने आप स्टार्ट हो जाएगा और जब Electricity वापस आ जाएगी तब D.G. अपने आप बंद हो जाएगा ।
जैसे ही electricity वापस आएगी तब हमारा Transformer स्टार्ट हो जाएगा, Transformer से electricity हमारी A.T.S. तक आ जाएगी|
तो मैंने कहा था कि A.T.S. के अंदर current सेन्सर होता है, तो जैसे ही Transformer का सप्लाई आएगा, तब हमारा A.T.S. का लीवर Transformer के साइट सिफ्ट हो जाएगा और हमारा load Transformer के उपर चलने लगेगा ।
(2) Manual :- Manual में D.G. को हम खुद ON/OFF कर सकते हैं ।
दोस्तों D.G. में भी current सेन्सर होता है, तो D.G. को भी पता चल जाएगा की main सप्लाई आ गई है, अब में off हो जाउँ । लेकिन दोस्तों D.G. तुरंत बंद नहीं होता, D.G. कुल डाउन मोड़ पे चला जाता है| D.G. तीन से पांच minutes तक चलता रहता है, उसके बाद बंद होता है ।
दोस्तों D.G. के कुल डाउन मोड के दो काम होतें हैं,
(1). दोस्तों कुल डाउन मोड का पहला काम ये है कि,कई बार ऐसा होता है ना, की Electricity आ के वापस चलीं जाती है, तो उस कंडीशन में हमारा D.G. तुरंत electricity प्रोवाइड करता है|
(2). कुल डाउन मोड का दुसरा काम ये है कि D.G. जब भी load को electricity प्रोवाइड करता है, तब वह गरम हो जाता है| तो सप्लाई आने पर हमारा D.G. without load के हो जाता है, और वह अपने fan को घुमा कर के ठंडा होने लगता है।
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दोस्तों उम्मीद करता हूं आपको हमारे डीजल जनरेटर desal generator (DG) की पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि डीजल जनरेटर और मेन सप्लाई का कनेक्शन किस तरह से किसी एक ही LT पैनल के साथ करा जाता है अगर आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगी है तो प्लीज हमारे youtube channel इलेक्ट्रिकल कोई जाकर एक बार subscribe जरूर करें