Effluent Treatment Plant (ETP) क्या है ?
ETP क्या है :- ETP किसी कंपनी का फैक्ट्री के दूषित जल को शुद्ध करने की प्रक्रिया होती है इसके लिए अलग अलग प्रोसेस का प्रयोग कर जाता है घरेलू उपयोग तथा फैक्ट्रियों से निकलने के बाद जल इतना ज्यादा गंदा हो जाता है कि उसका प्रयोग किसी मानवीय कार्य के लिए नहीं किया जा सकता जहां तक कि इस जल का प्रयोग ना मवेशियों के लिए किया जा सकता है और ना फसलों के लिए किया जा सकता है अगर आप इस जल का प्रयोग फसलों के लिए करते हैं तो यह फसलों को काफी ज्यादा हानि पहुंचा सकता है
factories से निकलने वाले इस गंदे जल को साफ करके बाहर निकालने का अधिनियम सरकार द्वारा बनाया जा चुका है लेकिन सरकार की नाक तले सरकार के नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जाती है और धोखेबाजी करते हुए गंदे जल को बिना साफ करे हुए यूं ही बाहर निकाल दिया जाता है और यह गंदा जल हमारे नदी नालों में जाकर उन्हें गन्दा कर देता है और हम हमारे इन जल स्रोतों का प्रयोग अपने किसी भी कार्य में नहीं कर सकते ।
दूषित जल उपचार संयंत्र दूषित जल की प्रकृति के अनुसार विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा बनाए जाते हैं। आम तौर पर दूषित जल उपचार संयंत्रों में संतुलन टैंक, न्यूट्रलाइजेशन टैंक, भौतिक / रासायनिक उपचार टैंक, निस्पंदन टैंक,सेटलिंग टैंक, सौर वाष्पीकरण टैंक / लैगून आदि शामिल हैं।
विशिष्ट प्रकार के औद्योगिक दूषित जल से दूषित जल के उपचार के लिए बहुस्तरीय दूषित जल उपचार संयंत्रों का निर्माण किया जाता है। पानी जैसे अत्यधिक कार्बनिक पदार्थ दूषित पानी, जैसे डिस्टिलरी, पेपर मिल आदि जिसमें प्राथमिक चिकित्सा प्रोसेस, द्वितीयक उपचार प्रोसेस और तृतीयक उपचार प्रोसेस आदि शामिल हैं।
Etp का treatment process क्या होता है ?
आ - प्राथमिक उपचार प्रोसेस - primary treatment process -
1. छनन
प्राथमिक उपचार के दौरान फैक्ट्रियों से निकले हुए गंदे जल को छनन प्रक्रिया से गुजारा जाता है जिसमें की दूषित जल से पत्थर तथा मोटे कण दूर हो जाते हैं छनन प्रक्रिया के दौरान पानी लगभग 70% तक शुद्ध हो जाता है और इस प्रक्रिया को स्क्रीनिंग भी कहते हैं
और यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से भौतिक प्रक्रिया होती है
2- सेडीमेंटेशन :-
सेडिमेंटेशन प्रोसेस छनन के बाद करी जाती है इस प्रोसेस में छनन से प्राप्त दूषित जल को एक बड़े सेंटीमेंटेंशन पोंड में डाला जाता है जिसकी गहराई 5 मीटर तक होती है सेडिमेंटेशन पाउंड में दूषित जल के भारी कण नीचे बैठ जाते हैं तथा ऊपर के हल्के जल को आगे process के लिए ले जाया जाता है इस टैंक में दूषित जल को तो उसे 6 घंटे तक रखा जाता है तथा टैंक में कुछ केमिकल डाले जाते हैं जिससे कि अशुद्धियों को अलग करने में आसानी होती है
3. फ्लोटेशन :-
फ्लोटेशन प्रोसेस सेंटीमेंटेंशन प्रोसेस के बाद करी जाती है सेंटीमेंटेंशन में दूषित जल के उचित अधिक घनत्व वाले कणों को अलग नहीं करा जा सकता है इन कणो को अलग करने के लिए फ्लोटेशन प्रोसेस का प्रयोग करा जाता है इस प्रोसेस में दूषित जल को हिलाया जाता है जिससे कि भारी और कम घनत्व वाले कण दूषित जल की सतह पर आ जाते हैं जहां पर इन्हें फ्लोटेशन की इस प्रक्रिया द्वारा अलग कर लीया जाता है
बा- द्वितीय उपचार
जल का द्वितीयक उपचार औद्योगिक दूषित जल युक्त कार्बनिक पदार्थों के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें जैविक रूप से विघटित होने वाले कार्बनिक पदार्थों का उपचार जीवाणु द्वारा किया जाता है। इस तरह से उपचार करने से लगभग 90 प्रतिशत कार्बनिक यौगिक ऑक्सीकरण के माध्यम से अलग हो जाते हैं। विघटित सामग्री दूसरे सेटलिंग टैंक में बस जाती है।
नीचे बैठे तलछट में बड़ी मात्रा में रोगाणु होते हैं। नतीजतन, इस तलछट का कुछ हिस्सा फिर से माध्यमिक उपचार में उपयोग किया जाता है। ऑक्सी और एनोक्सी जैविक उपचार मुख्य रूप से जैविक उपचार के लिए प्रचलन में है।
द्वितीयक उपचार - secondary treatment process
1. आॅक्सी उपचार
2. अनाॅक्सी उपचार
1. आॅक्सी उपचार
अ. आॅक्सीडेशन पौंड-
इस प्रक्रिया में, दूषित पानी को बड़े ऑक्सीकरण पाउंड में एरोबिक बैक्टीरिया और शैवाल के माध्यम से उपचार किया जाता है। कार्बनिक पदार्थ एरोबिक बैक्टीरिया द्वारा विघटित होते हैं, और शैवाल इस विघटित पदार्थ को भोजन के रूप में समाप्त कर देते हैं। इस प्रकार दूषित पानी का बीओडी कम हो जाता है। इस प्रक्रिया को घरेलू (सीवेज) दूषित जल के उपचार के लिए अपनाया जाता है।
ब. एयरेटेड लैगून
एयरेटेड लैगून में प्राथमिक उपचार के बाद प्रदूषित जल को बड़े टैंको में इकट्ठा कर लीया जाता है जहां पर इस दूषित जल को विद्युत चलित एयरेटरों से एयरेट किया जाता है जिससे कि दूषित जल ओर ऑक्सीजन को एक दूसरे के साथ मिला दी जाता है जिससे कि इसका 90% b.o.d. खत्म हो जाता है और कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के बाद जितना भी अपशिष्ट बचता है इसकी तलहटी में जमा हो जाता है
स. ट्रिकलिंग फिल्टर
ट्रिक्लिंग फिल्टर विधि में पत्थर,रेत आदि की एक परत बिछाई जाती है है जिस पर कि प्रदूषित जल डाला जाता है तथा इसके साथ ही एक एरोबिक बैक्टीरिया की एक परत और बिछाई जाती है और इसके साथ में इस पर वायु प्रवाहित की जाती है बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों को अच्छी तरीके से खत्म कर देते हैं तथा इसके साथ ही इसका फिल्ट्रेशन अच्छी तरीके से हो जाता है
2. अनाॅक्सी उपचार
इस प्रक्रिया में उपचार के लिए एनारोबिक बैक्टीरिया का प्रयोग किया जाता है। इसमें 95 प्रतिशत कार्बनिक पदार्थ जैव गैस में और 5 प्रतिशत बायो मास में परिवर्तित हो जाते हैं। यह process दो तरह से किया जाता है।
अ. स्लज डाइजेस्टर
इसमें जैव रासायनिक क्रिया के माध्यम से जटिल कार्बनिक पदार्थों को अपेक्षाकृत सरल यौगिकों में विघटित किया जाता है। एनारोबिक बैक्टीरिया की उपस्थिति में ऑक्सीजन की उपस्थिति में ये प्रतिक्रियाएं की जाती हैं। दूषित पानी में मौजूद कार्बनिक पदार्थ एनारोबिक सूक्ष्मजीवों जैसे कि एक्टिनोमाइकाइटिस, एरोबा इलेक्ट्रोबैसिलस, आदि के माध्यम से विघटित हो जाते हैं।
सड़न के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली जैव-गैस को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। दूषित पानी के अपघटन के परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में मीथेन गैस का उत्पादन होता है। शेष कीचड़ का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है।
ब. सेप्टिक टैंक
घरों से निकलने वाले दूषित जल के उपचार के लिए आज भी सेप्टिक टैंक बनाए जाते हैं। जिसमें दूषित पानी को एनॉक्सिक बैक्टीरिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन द्वारा उपचारित किया जाता है। इस प्रक्रिया से बीओडी की संख्या में भारी कमी होती है
सा- तृतीयक उपचार
तृतीयक उपचार औद्योगिक और घरेलू दूषित जल के उपचार के लिए एक आधुनिक दूषित जल उपचार तकनीक है। जिसमें द्वितीयक उपचार के बाद दूषित जल की गुणवत्ता में सुधार के लिए दूषित जल का फिर से विभिन्न तरीकों से उपचार किया जाता है। शेष सूक्ष्म-निलंबित कणों, सूक्ष्म जीवों, विघटित अकार्बनिक सामग्रियों और कार्बनिक पदार्थों के अवशेषों को ट्रीटमेंट उपचार के माध्यम से अलग किया जाता है।
इस हेतु निम्नानुसार प्रक्रियाएँ अपनायी जाती हैं –
1. कोगुलेशन
फिटकरी और फेरिक क्लोराइड इत्यादि को मिलाने पर, दूषित जल में मौजूद सूक्ष्म निलंबित कण अपने साथ जटिल यौगिकों का निर्माण करके अवक्षेपित हो जाते हैं। इसे छानकर अलग कर लिया जाता है।
2. विसंक्रमण
माध्यमिक उपचार के बाद, दूषित पानी के कीटाणुशोधन को क्लोरीन, ओजोन आदि विभिन्न ऑक्सीडाइज़र के माध्यम से किया जाता है। क्लोरीन हाइपोक्लोरस एसिड, एक जीवाणुनाशक बनाने के लिए पानी में घुल जाता है।
इसी तरह, ओजोन भी एक प्रभावी ऑक्सीडाइज़र है, जो कई जटिल कार्बनिक यौगिकों को ऑक्सीकरण करता है और पानी कीटाणुरहित करता है।
3. आयन एक्सचेंज रेजिन
आयन एक्सचेंज रेजिन के माध्यम से पानी में दूषित पानी की उपस्थिति कई भारी धातुओं का पृथक् करना है। इसके साथ ही पानी की कठोरता भी इस माध्यम से स्वयं ही दूर हो जाती है। इस विधि का उपयोग दूषित पानी में रंजक को अलग करने के लिए भी किया जाता है।
विभिन्न उद्योगों से दूषित पानी का उसकी प्रकृति के अनुसार इलाज किया जाता है।
औद्योगिक क्षेत्रों या औद्योगिक इकाइयों के समूहों से दूषित पानी के उपचार के लिए सामान्य संदूषण
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा सकते हैं। दूषित जल पदार्थों को एक साथ मिलाकर दो अलग-अलग प्रकार के पानी का उपचार करना भी संभव है। उदाहरण के लिए, अम्लीय और क्षारीय प्रकृति से दूषित पानी मिश्रित और बेअसर हो सकता है। इसी तरह, कई धातु संदूषक संयुक्त होने पर तेज होते हैं।
दूषित जल के समुचित उपचार के बाद, उन्हें पुन: सक्रिय किया जा सकता है। आवश्यकतानुसार पौधों के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
ईटीपी के लाभ:
1. उद्योग की सफाई और इसे आगे के उपयोग के लिए रीसाइक्लिंग करना
2- प्रदूषण के खिलाफ प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण
3- . उद्योगों में मीठे पानी के उपयोग को कम करना
4- सरकार द्वारा निर्धारित प्रदूषण उत्सर्जन मानकों को पूरा करना और भारी जुर्माना से बचना
5. पानी प्राप्त करने की लागत कम करें
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आशा करता हूं आपको यह पोस्ट अच्छी लगी
होगी अगर आपको Effluent Treatment Plant (ETP) क्या है ? और इसकी वर्किंग प्रोसेस से रिलेटेड कोई भी क्वेश्चन हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं मैं आपको उस क्वेश्चन का रिप्लाई देने की पूरी कोशिश करूंगा
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