पर्यावरण प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर:- आज के इस पोस्ट में पर्यावरण प्रदूषण औऱ पर्यावरण प्रदुषण के प्रभाव के बारे में यहाँ आपको अलग-अलग प्रकार की जानकारी देंगे जैसे कि पर्यावरण प्रदूषण क्या है और विशेष रूप से इस पोस्ट में जो तथ्य one liner क्वेश्चंस लेकर आ रहे हैं वह परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है कृपया पूरी पोस्ट पढ़े।
यहाँ आप जानोगे? 1- पर्यावरण प्रदूषण क्या है? 2- पर्यावरण प्रदुषण के प्रभाव? 3- महत्वपूर्ण तथ्य / one liner ? 4- one liner free pdf ? |
1-पर्यावरण प्रदूषण क्या है? और कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
आज के समय मे प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। रोजगार के लिए ज्यादा से ज्यादा उद्योग धंधे लगाए जाने लगे है, जिससे उनसे निकलने वाला अपशिष्ठ पदार्थ नदियों में बहाया जाता है, इस कारण से जल प्रदूषित होता है।
2-पर्यावरण प्रदुषण(environmental pollution) के प्रभाव?
उद्योगो से निकलने वाला धुआँ और विभिन्न प्रकार की गैसें जो वायु प्रदूषण को जन्म देती है। उद्योगो से निकलने वाली मशीनों की तेज ध्वनियों से ध्वनि प्रदूषण होता है। उन्ही उद्योगों से यदि प्लास्टिक जैसे अपशिष्ट को जमीन पर ऐसे ही फेंक दिया जाए तब वह मिट्टी को खराब करने लग जाते है जिससे मृदा प्रदूषण होता है।
यहाँ सिर्फ उद्योगों को ही सोचते हुए प्रदूषण के प्रकार सामने आए। किन्तु प्रदूषण और भी कई कारणों से होता है। जैसे वाहनों से निकलने वाला धुआँ या गैसें, नदियों इत्यादि में कूड़ा करकट फेंकना या नदियों पर मल त्यागना, नदियों में कपड़े धोना, वाहनों से निकलने वाला शोर, कीटनाशक के प्रयोग से मृदा प्रदूषण का होना, गर्म जल को नदियों में छोड़ने से तापीय प्रदूषण का होना या नाभिकीय पदार्थों का प्रयोग किया जाता है तब बड़े बड़े संयंत्रो में नाभिकीय प्रदूषण भी देखा जाता है।
पृथ्वी पर उपस्थित ऐसे कुछ अवयव है जिनके द्वारा इन प्रदूषणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। किंतु मनुष्य ज्यादा से ज्यादा सुविधाजनक चीज़ों की मांग करता जा रहा है। जिससे प्रदूषण रोकने में बहुत अहम भूमिका निभाने वाले वृक्ष, उन्हें निरंतर काटा जा रहा है।
सौर ऊर्जा का प्रयोग आज भी बहुत कम स्तर पर किया जाता है। मनुष्यों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता की कमी है। और जिनमे यह कमी नही भी है वे व्यक्ति सुविधाओ में बंधे है और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को अनदेखा करते जा रहे है।
बढ़ते प्रदूषण के प्रति सभी को जल्दी से जल्दी सजग होने की आवश्यकता है। यदि इसे जल्दी से जल्दी कम न किया गया तो बीमारियों का प्रकोप और तेज़ी से बढ़ता चला जायेगा।
3- पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य (one liner) या प्रश्न उत्तर ?
ये सभी तथ्य सरकारी नौकरी परीक्षा में अत्यंत उपयोगी होंगे। इन सभी तथ्यों को बहुत ही सरल भाषा मे बताया गया है। सभी पढ़ने वाले विद्यार्थी इन तथ्यों को अच्छे ढंग से पढ़े, पूरा पढ़े, याद करें और लाभ उठायें।
धन्यवाद
हवा, पानी, मिट्टी या पृथ्वी पर उपस्थित किसी भी वस्तु के संतुलन में जब अनचाहा परिवर्तन होता है, जिससे पृथ्वी पर रहने वाले जीवधारियों को समस्या का सामना करना पड़ता है, तब वह एक प्रकार का प्रदूषण कहलाता है।
जब प्रदूषण हवा में होता है, जिससे हवा में उपस्थित विभिन्न प्रकार के अवयवों का संतुलन बिगड़ जाता है तब उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।
सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2), सल्फर ट्राई ऑक्साइड (SO3), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO), वायुमंडल में उपस्थित जल के साथ क्रिया करके जब सल्फ्यूरिक अम्ल, सलफ्यूरस अम्ल, नाइट्रिक अम्ल बनाती है। तब ये अम्ल धरती पर बरसात बनकर बरस जाता है। इस प्रकिया को ही अम्लीय वर्षा कहते है।
3 दिसंबर 1984 ई. को भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में मिथाईल आइसोसायनाइट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। जिसे भोपाल गैस त्रासदी के नाम से भी जाना जाता है। यह गैस एक ज़हरीली गैस है। जिससे उस समय बहुत लोगो की जान गई थी।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NO तथा NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), हाइड्रोकार्बन, अमोनिया (NH3), तम्बाकू का धुँआ इत्यादि सभी प्रमुख वायु प्रदूषक है।
जल में जब अनचाहे पदार्थ मिल जाते है जो जल का संतुलन बिगड़ देते है उस प्रक्रिया को ही जल प्रदूषण कहा जाता है।
पृथ्वी पर उपलब्ध जल का 2 से 3% भाग ही स्वच्छ जल है।
कार्बोनेट, क्लोराइड, सोडियम और उसके बाइकार्बोनेट, मैग्नीशियम व पोटेशियम के सल्फेट, अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि सभी जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है।
जलीय सतह पर फैले तेल को ऑयल स्पिल्स कहते हैं।
पारा युक्त जल पीने से मिनीमाता रोग हो जाता है।
नदियों में जल प्रदूषण की माप ऑक्सीजन की घुली हुई मात्रा से की जाती है।
वातावरण में चारों ओर फैली अनचाही ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत ऊंची आवाज या शोर होता है।
भूमि का विकृत रूप मृदा प्रदूषण कहलाता है।
अम्लीय वर्षा, खानों से प्राप्त जल,उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग, कूड़ा करकट, औद्योगिक क्षेत्रों से निकला अपशिष्ट पदार्थ, मृदा प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है।
वायु प्रदूषण के विश्वसनीय कारक लाइकेन तथा मॉस होते हैं।
मोटर कार से उत्पन्न प्रदूषक जो मानसिक रोग पैदा करता है वह Pb है।
मुंबई एवं कोलकाता जैसे शहरों में प्रमुख वायु प्रदूषक CO एवं SO2 है।
DDT, प्लास्टिक पारा जैव अवक्षयकारी प्रदूषण कहलाते हैं।
CO2 गैस वायु को प्रदूषित नहीं करती है।
सौर ऊर्जा में कोई भी प्रदूषण की समस्या नहीं आती है।
वायुमंडल में ओजोन छिद्र का पता अंटार्कटिका के ऊपर लगाया गया है।
अल्ट्रावायलेट किरणों का अवशोषण वायुमंडल में ओजोन परत करती है।
मानवजनित प्रदूषण परजैविक कहलाते है।
अम्लीय जल द्वारा इमारतों के क्षरण को स्टोन कैंसर कहा जाता है।
भूस्खलन जैसी घटनाएं वर्षाकाल के मौसम में सर्वाधिक होती है।
तापविद्युत गृहों से निकले गर्म जल को जब नदियों में डाल दिया जाता है तब उसे नदियों में तापीय प्रदूषण कहा जाता है।
जल को प्रदूषित करने वाली धातुएँ पारा और सीसा है।
नीम का वृक्ष धूल प्रदूषण को रोकने में सहायक होता है।
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस हरित गृह प्रभाव में सर्वाधिक सहायक होती है।
हेंसन ने हरित गृह प्रभाव का नाम दिया था।
कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस वैश्विक ऊष्णता के लिए उत्तरदायी है।
जल में नाइट्राइट प्रदूषण के कारण शिशुओं में नीला वर्ण बीमारी हो जाती है।
खून की कमी, हड्डियों का टेढ़ा हो जाना, फ्लोराइड युक्त जल के कारण हो जाता है।
शुद्ध जल की प्रकृति उदासीन होती है।
CFC, CO2, CH4, NO2 ये गैसें हरित गृह गैसें होती है।
सीसा वायु प्रदूषक के कारण मनुष्य में तांत्रिक तंत्र सम्बन्धी रोग उत्पन्न हो जाता है।
सिलिका के कारण ही लोहे की खानों में काम करने वाले मजदूरों को लौह-सकितमयता रोग हो जाता है।
मथुरा तेल शोधन शाला से निकले वायु प्रदूषक के कारण ही ताजमहल को क्षति पहुच रही है।
DDT का अर्थ अजीव अपघटनीय प्रदूषक है।
सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों द्वारा त्वचा का कैंसर जैसी बीमारी होती है।
चर्नोबिल परमाणु दुर्घटना 1986 ई. में यूक्रेन देश मे हुई थी।
भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण कोलकाता में है।
भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण कोलकाता में है।
राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान नागपुर में है।
जल प्रदूषण नियंत्रक एवं निवारण अधिनियम 1987 ई. में पारित हुआ।
राष्ट्रीय विज्ञान औद्योगिक संस्थान फरीदाबाद में है।
वन उत्पादकता केंद्र रांची में है।
वन आनुवंशिकी तथा वृक्ष प्रजनन संस्थान कोयंबटूर में है।
भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भोपाल में है।
भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षण परिषद देहरादून में है।
जी बी पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान अल्मोड़ा में है।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण नई दिल्ली में है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली में है।
4- download pollution one liner free pdf
इस pdf में आपको environmental pollution से related सभी one liner मिलेंगे।
Final words
इस पोस्ट में आपने सीखा environmental pollution क्या होता है और एनवायरमेंटल पॉल्यूशन को कंट्रोल कैसे कर सकते हैं आपको इस पोस्ट से कोई भी क्वेश्चन हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं साथ ही आपने इस पोस्ट में government exam से रिलेटेड one liner पड़ा तथा एक फ्री pdf हमने यहां पर अपलोड कर रखी है जिससे कि आप download कर सकते हैं और अपने ड्राइव में सेव कर सकते हैं
आशा करता हूं आपको हमारी environmental pollution क्या है और पर्यावरण प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण One liner प्रश्न उत्तर की post अच्छी लगी होगी अगर आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगी है तो आप इसे शेयर करें तथा अगर आपको पर्यावरण प्रदूषण से रिलेटेड कोई भी क्वेश्चन हो तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें बता सकते हैं तथा इस पोस्ट से रिलेटेड कोई और पोस्ट आप चाहते हैं तो वह भी हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं
पर्यावरण प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | One liner प्रश्नोत्तर ?
Reviewed by Rajeev Saini
on
May 13, 2020
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